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एक अपील

ऐ घर पे बैठे तमाशबीन लोग लुट रहा है मुल्क, कब तलक रहोगे खामोश शिकवा नहीं है उनसे, जो है बेखबर पर तु तो सब जानता है, मैदान में क्यों नही...

Sunday 20 May 2012

मजदुर की अभिलाषा (wish of worker)

मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
मेहनत के बदले दो वक़्त की रोटी पाना
पढ़ा लिखाकर अपने बच्चो को
ऊँचे पदों पर पहुचाना चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
बंगले गाड़ी का शौक नहीं
एक छोटी सी कुटिया और
परिवार के साथ जीना चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
देश की उन्नति
राज्य की प्रगति
और गाँव की समृध्दी चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु
न हो भारत में कोई निर्धन
न हो किसी की भुखमरी से मौत
न हो कोई बेरोजगारी चाह रहा हु
मै मजदुर कुछ इस तरह जीना चाह रहा हु

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